वैश्विक सेमीकंडक्टर उद्योग आज की डिजिटल अर्थव्यवस्था का आधार है और भारत इसमें तेजी से अपनी जगह बना रहा है। कोविड-19 के बाद आई सप्लाई चेन की समस्या और भू-राजनीतिक तनाव ने दुनिया को चीन-ताइवान पर निर्भरता कम करने पर मजबूर कर दिया है। ऐसे में भारतीय एमएसएमई के लिए सेमीकंडक्टर क्षेत्र में प्रवेश करने का यह सबसे बड़ा अवसर है।
वैश्विक सेमीकंडक्टर सप्लाई चेन में भारत का बढ़ता दबदबा
सेमीकंडक्टर चिप्स आज स्मार्टफोन, इलेक्ट्रिक व्हीकल, 5G नेटवर्क, डिफेंस उपकरणों से लेकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तक हर जगह जरूरी हैं। वैश्विक सेमीकंडक्टर मांग 2030 तक दोगुनी होने की उम्मीद है। भारत की मजबूत इंजीनियरिंग क्षमता, कम लागत और सरकार का पूरा समर्थन इसे सेमीकंडक्टर हब बनाने की दिशा में तेजी से ले जा रहा है।
भारतीय एमएसएमई देश के कुल निर्यात का करीब 45% हिस्सा रखते हैं। अब यही एमएसएमई सेमीकंडक्टर उद्योग की सप्लाई चेन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं – चाहे मशीन पार्ट्स बनाना हो, टेस्टिंग इक्विपमेंट हो या पैकेजिंग मटेरियल।
सेमीकंडक्टर उद्योग में एमएसएमई की चुनौतियां और समाधान
सेमीकंडक्टर विनिर्माण में नैनो-लेवल की सटीकता चाहिए, जो अभी कई भारतीय एमएसएमई के पास नहीं है। मुख्य चुनौतियां:
- क्लीनरूम और हाई-प्रिसिजन मशीनरी की कमी
- अंतरराष्ट्रीय क्वालिटी स्टैंडर्ड (ISO, IATF 16949) का पालन
- कुशल मानव संसाधन की कमी
लेकिन अच्छी बात यह है कि सेमीकंडक्टर फैब प्लांट में इस्तेमाल होने वाले 10,000+ पार्ट्स में से कई सौ पार्ट्स भारतीय एमएसएमई आसानी से बना सकते हैं। इसके लिए जरूरी है:
- तकनीकी ट्रेनिंग
- विदेशी कंपनियों के साथ पार्टनरशिप
- सरकारी सब्सिडी का सही उपयोग
सरकार का सेमीकंडक्टर मिशन और एमएसएमई को मिल रहा बढ़ावा
भारत सरकार ने इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन के तहत 76,000 करोड़ रुपये का पैकेज घोषित किया है। गुजरात, असम, ओडिशा और आंध्र प्रदेश में बड़े-बड़े सेमीकंडक्टर प्लांट लग रहे हैं। इन प्लांट्स को लोकल सप्लायर्स चाहिए – यानी सीधा मौका भारतीय एमएसएमई के लिए।
सेमीकंडक्टर के लिए नई PLI स्कीम, SPECS स्कीम और DLI स्कीम के तहत एमएसएमई को 50% तक कैपिटल सब्सिडी मिल रही है। साथ ही सेमीकंडक्टर डिजाइन और मैन्युफैक्चरिंग में ट्रेनिंग के लिए कई संस्थान खोले जा रहे हैं।
विशेषज्ञों की राय: सेमीकंडक्टर में एमएसएमई की ताकत
- मंजुनाथ ज्योथिनागरा (कास्टेक): “एक सेमीकंडक्टर मशीन में 10,000 से ज्यादा पार्ट्स होते हैं। अगर भारत में 500 पार्ट्स भी बनने लगें तो हजारों एमएसएमई वैश्विक सप्लायर बन जाएंगे।”
- पॉल इलंगोवन (केन्स सेमिकॉन): “भारत का इंजीनियरिंग बेस पहले से मजबूत है। अब सिर्फ सेमीकंडक्टर स्पेसिफिक स्किल और पार्टनरशिप चाहिए।”
- अलोक जैन (लैम रिसर्च इंडिया): “वैश्विक कंपनियां भारत को सेमीकंडक्टर सप्लाई चेन में ‘चाइना +1’ विकल्प मान रही हैं।”
सेमीकंडक्टर सप्लाई चेन में एमएसएमई के लिए 7 जरूरी कदम
- अपने मौजूदा प्रोडक्ट को सेमीकंडक्टर ग्रेड में अपग्रेड करें
- ISO 9001 और IATF 16949 सर्टिफिकेशन तुरंत लें
- Semicon India Programme की वेबसाइट पर रजिस्टर करें
- विदेशी OEM से डायरेक्ट संपर्क करें (Lam Research, Applied Materials, KLA आदि)
- क्लीनरूम और प्रिसिजन मशीनिंग में निवेश करें (सरकारी सब्सिडी उपलब्ध)
- अपने कर्मचारियों को सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कोर्स करवाएं
- निर्यात को फोकस करें – सेमीकंडक्टर पार्ट्स की 90% मांग बाहर की है
निष्कर्ष: सेमीकंडक्टर क्रांति में एमएसएमई का सुनहरा मौका
आने वाला दशक सेमीकंडक्टर का है और भारत इसमें लीडर बनने की पूरी तैयारी में है। जो एमएसएमई आज से तैयारी शुरू करेंगे, वही कल वैश्विक सेमीकंडक्टर सप्लाई चेन के महत्वपूर्ण हिस्सा बनेंगे। यह सिर्फ बिजनेस का अवसर नहीं, बल्कि भारत को टेक्नोलॉजी सुपरपावर बनाने का मौका है।
Kotak Mahindra Bank ने की 1:5 शेयर स्प्लिट की घोषणा: निवेशकों के लिए बढ़ेगी सुलभता, जानें पूरी डिटेल
Penny Stock: ₹20 से कम वाले पेनी स्टॉक में 8% से ज्यादा की तेजी, स्टेक सेल और बोनस इश्यू की खबर
नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम वरुण सिंह है, मैं अपने खाली समय में Youtube Channel पर फाइनेंस संबंधी वीडियो अपलोड करता हूं साथ ही ब्लॉगिंग भी कर रहा हूं। हमारी कोशिश है की हम अपने पाठकों के लिए फाइनेंस सम्बंधित विषयों पर उच्च गुणवत्ता से युक्त आर्टिकल प्रकाशित करें।