ब्रोकरेज फर्म्स को तगड़ा झटका: Groww-Zerodha से 19 लाख क्लाइंट्स भागे, सितंबर तिमाही में 26 लाख का नुकसान – क्या मार्केट क्रैश का असर?

डिस्काउंट ब्रोकरेज सेक्टर में हड़कंप मच गया है! Groww, Zerodha, Angel One और Upstox जैसी टॉप फर्म्स को सितंबर तिमाही (जुलाई-सितंबर 2025) में करीब 19 लाख एक्टिव क्लाइंट्स का झटका लगा, जबकि पूरे सेक्टर में 26 लाख क्लाइंट्स की विदाई हुई। यह आंकड़े राष्ट्रीय स्टॉक एक्सचेंज के ताजा डेटा से सामने आए हैं। 2025 के पहले 9 महीनों में कुल 50 लाख क्लाइंट्स गंवाने वाली इन फर्म्स के लिए यह तिमाही सबसे खराब रही – आधे से ज्यादा नुकसान तो इसी पीरियड में हुआ। क्या स्टॉक मार्केट की बिकवाली ने निवेशकों का भरोसा तोड़ दिया? आइए जानते हैं डिटेल्ड आंकड़े, वजहें और क्या होगा आगे।

टॉप ब्रोकरेज फर्म्स का क्लाइंट लॉस: कौन कितना हारा?

सितंबर तिमाही में चारों बड़ी डिस्काउंट ब्रोकरेज फर्म्स ने कुल 75% क्लाइंट लॉस झेला। यहां ब्रेकडाउन:

  • Groww: सबसे बड़ा झटका – 6.73 लाख एक्टिव क्लाइंट्स कम हुए। भारत की सबसे बड़ी ब्रोकरेज प्लेटफॉर्म होने के बावजूद, यह नुकसान कंपनी के लिए चिंता का विषय है।
  • Zerodha: नितिन कामथ और निखिल कामथ की फर्म को 5 लाख क्लाइंट्स का नुकसान। जुलाई में 74.34 लाख से घटकर अगस्त में 72.63 लाख रह गया।
  • Angel One: 4.34 लाख क्लाइंट्स की विदाई, अगस्त में 70.46 लाख एक्टिव यूजर्स।
  • Upstox: 3 लाख क्लाइंट्स कम, अगस्त में 23.78 लाख पर सिमट गया।

अन्य फर्म्स भी पीछे नहीं रहीं:

  • m.Stock (Mirae Asset): 1.3 लाख से ज्यादा लॉस।
  • HDFC Securities: 61 हजार।
  • Motilal Oswal: 59 हजार।
  • Sharekhan: 59 हजार।
  • PhonePe: 58 हजार।
  • Kotak Securities: 49 हजार।
  • 5paisa: 26.4 हजार।

ये आंकड़े राष्ट्रीय स्टॉक एक्सचेंज के मासिक डेटा से लिए गए हैं, जो दिखाते हैं कि सितंबर में क्लाइंट चर्न रेट रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया।

क्यों भाग रहे क्लाइंट्स? मार्केट सेंटिमेंट का काला अध्याय

निवेशकों का रुझान बदलने की मुख्य वजहें:

  • स्टॉक मार्केट में बिकवाली का दबाव: 2025 की शुरुआत से ही बेयरिश ट्रेंड। सितंबर तिमाही में Sensex 4% और Nifty 50 3.6% गिरा। BSE MidCap 4.2% और BSE SmallCap 4.6% नीचे।
  • कमजोर IPO परफॉर्मेंस: कई IPOs की सुस्त लिस्टिंग और डिस्काउंट पर डेब्यू ने खुदरा निवेशकों को निराश किया।
  • कॉर्पोरेट रिजल्ट्स: कंपनियों के खराब क्वार्टरली नतीजे।
  • FII बिकवाली: विदेशी निवेशकों की लगातार सेलिंग।
  • ग्लोबल फैक्टर्स: जियोपॉलिटिकल टेंशन और ट्रेड वॉर ने मार्केट सेंटिमेंट को और कमजोर किया।

विनियामक संस्था के सख्त नियम जैसे Margin Requirements, Weekly Expiries पर पाबंदी और हाई टैक्सेशन ने भी ट्रेडर्स को हतोत्साहित किया। पहले हाफ में ही 20 लाख क्लाइंट्स चले गए।

कुछ फर्म्स ने किया कमाल: क्लाइंट्स बढ़ाए, कैसे?

मार्केट की आंधी में भी कुछ ब्रोकरेज फर्म्स ने ग्रोथ दिखाई:

  • Paytm Money: 51 हजार नए क्लाइंट्स जोड़े।
  • SBI Cap Securities: 44 हजार।
  • Arihant Broking: 28.6 हजार।
  • ICICI Securities: 27 हजार।
  • Choice Equity: 21.4 हजार।

ये फर्म्स ने बेहतर कस्टमर सर्विस, लो कॉस्ट स्ट्रैटेजी और एजुकेशनल कंटेंट से क्लाइंट्स को बांधा।

निवेशकों और ब्रोकरेज के लिए क्या सबक?

  • निवेशकों के लिए: मार्केट वोलेटिलिटी में पैनिक सेलिंग से बचें। लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टिंग पर फोकस करें, SIP जारी रखें।
  • ब्रोकरेज फर्म्स के लिए: क्लाइंट रिटेंशन पर ध्यान दें – एजुकेशन, रिस्क मैनेजमेंट टूल्स और पर्सनलाइज्ड सर्विसेज जरूरी।
  • फ्यूचर आउटलुक: अगर मार्केट रिकवर होता है, तो क्लाइंट्स वापस लौट सकते हैं। लेकिन विनियामक रेगुलेशन्स और ग्लोबल इवेंट्स पर नजर रखें।

यह ट्रेंड डिस्काउंट ब्रोकरेज इंडस्ट्री के लिए एक वेक-अप कॉल है।

डिस्क्लेमर: निवेश जोखिम के अधीन है। विशेषज्ञ सलाह लें। यह जानकारी स्टॉक एक्सचेंज डेटा और मार्केट विश्लेषण पर आधारित है।

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