पराग पारिख लार्ज-कैप फंड NFO: क्या लार्ज-कैप एक्टिव फंड के NFO में निवेश करना चाहिए?

2025 के अंत में भारतीय म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री में एक नया चर्चा का विषय बन रहा है – पराग पारिख म्यूचुअल फंड का आने वाला एक्टिव लार्ज-कैप फंड NFO। फाइनेंशियल एजुकेटर प्रांजल कामरा ने अपने यूट्यूब वीडियो में इस फंड की घोषणा और उसके पीछे की रीजनिंग को विस्तार से समझाया है। उनका कहना है कि यह फंड कॉन्सेप्ट के स्तर पर बहुत इंटरेस्टिंग है क्योंकि यह इंडेक्स फंड के कुछ बड़े नुकसानों को दूर करने की कोशिश करता है, साथ ही एक्टिव फंड की ताकत को कम खर्चे में लाने का वादा करता है।

इस आर्टिकल में हम वीडियो की मुख्य बातों को सरल भाषा में समझेंगे:

  • इंडेक्स फंड के क्या नुकसान हैं?
  • पराग पारिख का यह नया एक्टिव लार्ज-कैप फंड इन नुकसानों से कैसे अलग है?
  • क्या इस NFO में निवेश करना सही रहेगा?

1. लार्ज-कैप फंड्स में 2018 के बाद क्या बदलाव आया?

2018 में SEBI ने म्यूचुअल फंड कैटेगरी को री-क्लासिफाई किया। इसके तहत:

  • लार्ज-कैप की परिभाषा बनी – मार्केट कैप के हिसाब से टॉप-100 कंपनियां।
  • किसी भी लार्ज-कैप फंड को कम से कम 80% निवेश इन टॉप-100 कंपनियों में ही करना अनिवार्य है।

इस नियम की वजह से सभी एक्टिव लार्ज-कैप फंड्स एक-दूसरे से बहुत मिलते-जुलते हो गए। ज्यादातर फंड्स में 60% तक ओवरलैप होने लगा। फंड मैनेजर के पास क्रिएटिविटी दिखाने की गुंजाइश बहुत कम रह गई।

नतीजा? इंडेक्स फंड्स (जो सिर्फ Nifty 50 या Sensex को कॉपी करते हैं) लार्ज-कैप कैटेगरी में ज्यादा सेंस बनाने लगे क्योंकि:

  • खर्चा बहुत कम (0.1-0.2%)
  • एक्टिव फंड्स का आउटपरफॉर्म करना मुश्किल हो गया

2. इंडेक्स फंड के प्रमुख नुकसान (ड्रॉबैक्स)

पराग पारिख AMC के अनुसार इंडेक्स फंड में कुछ स्ट्रक्चरल कमियां हैं, जिनका फायदा एक अच्छा एक्टिव फंड उठा सकता है:

a) इंडेक्स री-बैलेंसिंग के समय मजबूरी

  • हर 6 महीने में इंडेक्स (जैसे Nifty 50) में कुछ स्टॉक्स बाहर और कुछ अंदर आते हैं।
  • बाहर जाने वाला स्टॉक अक्सर इसलिए निकलता है क्योंकि उसका प्राइस गिर चुका होता है (मार्केट कैप कम हो गया)।
  • सभी इंडेक्स फंड्स को उसी दिन/उसके आसपास उस स्टॉक को बेचना पड़ता है → भारी सेलिंग प्रेशर → प्राइस और गिरता है → स्टॉक और अंडरवैल्यूड हो जाता है।
  • लेकिन इंडेक्स फंड इसे खरीद नहीं सकते क्योंकि वह अब इंडेक्स का हिस्सा नहीं है।

एक्टिव फंड का फायदा:

  • अगर वह स्टॉक अभी भी टॉप-100 में है, तो एक्टिव लार्ज-कैप फंड इसे खरीद सकता है।
  • या 20% फ्लेक्सिबिलिटी का इस्तेमाल करके वैल्यू ऑपर्च्युनिटी ले सकता है।

b) डेरिवेटिव्स मार्केट में आर्बिट्राज ऑपर्च्युनिटी

  • कभी-कभी कैश मार्केट (डिलीवरी) और फ्यूचर्स मार्केट में प्राइस में अंतर आ जाता है।
  • एक्टिव फंड इस अंतर से फायदा उठा सकता है (कैश में खरीदकर फ्यूचर्स बेचना)।
  • इंडेक्स फंड ऐसा नहीं कर सकते क्योंकि उन्हें सिर्फ इंडेक्स को ट्रैक करना है।

c) डीमर्जर / स्पिन-ऑफ जैसे कॉर्पोरेट एक्शन

  • उदाहरण: ITC और ITC Hotels का डीमर्जर।
  • नई छोटी कंपनी (ITC Hotels) इंडेक्स का हिस्सा नहीं बन पाती → सभी इंडेक्स फंड्स को मिले शेयर्स बेचने पड़ते हैं → प्राइस पर दबाव।
  • एक्टिव फंड इस मौके पर सस्ते में खरीद सकता है।

3. पराग पारिख का नया एक्टिव लार्ज-कैप फंड क्या खास है?

पराग पारिख दो बड़े पॉइंट्स पर भरोसा दिला रहे हैं:

  1. शानदार ट्रैक रिकॉर्ड
    • उनका फ्लेक्सी-कैप फंड लंबे समय से अपनी कैटेगरी में टॉप परफॉर्मर रहा है।
    • वैल्यू इन्वेस्टिंग पर फोकस और डिसिप्लिन्ड अप्रोच के लिए मशहूर।
  2. लगभग इंडेक्स फंड जितना कम खर्चा
    • ज्यादातर एक्टिव लार्ज-कैप फंड्स 0.5% से 1% तक TER चार्ज करते हैं।
    • पराग पारिख का वादा: 0.1%–0.3% के आसपास TER रखेंगे – यानी इंडेक्स फंड के बराबर।
    • मतलब: इंडेक्स फंड जैसा कम खर्चा + एक्टिव फंड की संभावित अतिरिक्त रिटर्न की संभावना।

4. क्या इस NFO में निवेश करना चाहिए?

प्रांजल कामरा का स्पष्ट स्टैंड:

“मैं प्रिंसिपल के तौर पर सभी NFO से दूर रहता हूँ और अपने viewers को भी यही सलाह देता हूँ।”

कारण:

  • किसी भी नए फंड को परखने के लिए कम से कम 2-3 साल का ट्रैक रिकॉर्ड जरूरी होता है।
  • चाहे कॉन्सेप्ट कितना भी अच्छा हो, असल परफॉर्मेंस तो समय के साथ ही पता चलता है।

तो भले ही यह कॉन्सेप्ट बहुत आकर्षक लग रहा हो, लेकिन अभी NFO में निवेश की सिफारिश नहीं की जा सकती।

निष्कर्ष: क्या सीख मिली?

  • लार्ज-कैप सेगमेंट में इंडेक्स फंड्स अब तक सबसे सुरक्षित और कम खर्चे वाला विकल्प रहे हैं।
  • लेकिन इंडेक्स फंड्स में कुछ स्ट्रक्चरल कमियां हैं, जिनका फायदा एक स्मार्ट एक्टिव मैनेजर उठा सकता है।
  • पराग पारिख का आने वाला फंड इन कमियों को टारगेट कर रहा है और कम TER का वादा कर रहा है – कॉन्सेप्ट के स्तर पर बहुत मजबूत।
  • फिर भी, NFO से दूर रहना ही समझदारी है। अगर 2-3 साल बाद यह फंड वाकई अच्छा परफॉर्म करता है और कम खर्चा बनाए रखता है, तो तब विचार किया जा सकता है।

अगर आप लार्ज-कैप एक्सपोजर चाहते हैं, तो अभी के लिए एक अच्छा Nifty 50 या Sensex इंडेक्स फंड सबसे सुरक्षित और तर्कसंगत विकल्प बना हुआ है।

नोट: यह आर्टिकल केवल एजुकेशनल उद्देश्य से है। किसी भी म्यूचुअल फंड में निवेश से पहले अपने फाइनेंशियल एडवाइजर से सलाह जरूर लें।

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